1887

OECD Multilingual Summaries

Aid for Trade at a Glance 2019

Economic Diversification and Empowerment

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व्यापार के बदले आर्थिक सहायता एक नज़र में 2019

आर्थिक विविधीकरण और सशक्तीकरण

2019 का व्यापार‑के‑बदले‑आर्थिक‑सहायता अनुवीक्षण और मूल्यांकन अभ्यास दर्शाता है कि डब्ल्यूटीओ सदस्यों और निरीक्षकों की व्यापार और विकास रणनीतियों और नीतियों के उद्देश्यों में आर्थिक विविधीकरण और सशक्तीकरण प्रमुख हैं। इस अभ्यास में भाग लेने वाले 133 उत्तरदाताओं में से कई ने रेखांकित किया कि आर्थिक सशक्तीकरण का मुख्य मार्ग आर्थिक विविधीकरण है। उनके उत्तरों से यह बात भी उभरकर आती है कि विविधीकरण और सश्क्तीकरण के बीच जो संबंध हैं, वे विपरीत दिशा में भी सक्रिय होते हैं। कुशलताओं और प्रशिक्षण के ज़रिए सशक्तीकरण आर्थिक विविधीकरण के लिए आवश्यक है, विशेषकर तब जब यह युवा जनों ,महिलाओं तथा सूक्ष्म उद्यमों, लघु उद्यमों और मध्यम आकार के उद्यमों (एमएसएमई) को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संलग्न होने के योग्य बनाता है। उत्तरों में प्रगति का उल्लेख हुआ है, पर यह प्रगति समान नहीं रही है ‑ सबसे कम विकसित, चारों तरफ स्थल भागों से घिरे (अर्थात समुद्र से दूर), और द्वीपीय स्वरूप के छोटे विकासशील राज्यों को खास तौर से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। नाजुक किस्म के और संघर्ष‑ग्रस्त राज्यों के विषय में भी यह बात लागू होती है। इन तथा अन्य कुछ देशों के लिए, आर्थिक विविधीकरण, आर्थिक संसाधनों को आर्थिक सेक्टरों में और आर्थिक सेक्टरों के बीच पुनरावंटन से उत्पादकता के उच्चतर स्तरों की प्राप्ति के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।

विनिर्माण और उससे जुड़ी सेवाओं वाले सेक्टर में विगत में हुई वृद्धि के कारण बहुत से कर्मियों को रोज़गार मिले हैं। रोज़गार में हुई इस बढ़ौत्तरी से समृद्धि आती है। लेकिन, कई दशकों के तथाकथित “अति‑तीव्र‑वैश्वीकरण” के बाद, हो सकता है कि विश्व एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रहा है, जिसके लक्षणों में भौतिक वस्तुओं में व्यापार का धीमा पड़ना और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के प्रवाहों में कमी आना शामिल हैं। इसके अलावा, स्वचालन और उत्पादन प्रक्रियाओं के डिजिटीकरण से विनिर्माण का स्वरूप और औद्योगिकीकरण का भविष्य बदल रहा है। जहाँ व्यापार की संभावना मौजूद है, वहाँ उसमें सेवाओं के एक बहुत बड़े घटक के होने की संभावना है। सेवाओं पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के कारण वृद्धि की ये संभावनाएँ बाधित न हो जाए, इस ओर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र की स्वयंपोषी विकास 2030 के लिए कार्यसूची में यह माँग की गई है कि आर्थिक विकास में सब शामिल हों और वह स्वयंपोषी हो। इसके लिए आर्थिक विविधीकरण और वृद्धि के सामाजिक व पर्यावरणीय प्रभावों की ओर अधिक ध्यान देना होगा। यद्यपि यह नया माहौल चुनौतियाँ पेश करता है, फिर भी आर्थिक विविधीकरण और संरचनात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से बनाई गई नीतियाँ सर्वसमावेशी और स्वयंपोषी वृद्धि के लिए भरपूर अवसर पैदा कर सकती हैं। इन नीतियों में शामिल हैं प्रोत्साहन देने के लिए उचित ढाँचा उपलब्ध कराना; व्यापार की लागत में कमी लाने का लक्ष्य रखने वाले निवेश और इसके लिए नीतियों में सुधार; संसाधनों के समायोजन और पुनरावंटन को समर्थित करने की नीतियाँ; और बाज़ार, नीति और संस्थागत विफलताओं को ठीक करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप।

डब्ल्यूटीओ की व्यापार सुगमीकरण समझौते का प्रवर्तन इसका एक दृष्टांत है। प्रगति हो रही है इस समझौते के साथ विकासशील देशों के संरेखण का स्तर बढ़ रहा है, और उठाए गए पहलों के प्रकाशन में सुधार, स्वचालन और कार्यविधियों के समानीकरण और व्यापारी समुदाय के साथ संलग्नता जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है। आर्थिक सहायता द्वारा समर्थित इन सुधारों की वजह से सकारात्मक प्रभाव भी देखे जा रहे हैं। देश प्रतिवेदनों और सामयिक समय विमुक्ति अध्ययनों (पीरियॉडिक टाइम रिलीज़ स्टटीज़) में सीमा कर और भौतिक जाँच में कमी, अनावश्यक दस्तावेज़ों की माँग न करने, हाथ से किए जाने वाले चरणों के स्वचालन, और इन सबसे समाशोधन में लगने वाले समय में आई कमी के संकेत मिल रहे हैं।

आर्थिक सशक्तीकरण ऐसे कार्यक्रमों से पोषित हो सकता है, जो हाशिए पर धकेल दिए गए समूह (जिनमें महिलाएँ और युवा जन भी शामिल हैं) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में किस हद तक भाग लेते हैं और उससे लाभिन्वित होते हैं, इसमें सुधार लाने की ओर विशेष ध्यान देते हैं। इसके साथ ही, छोटे और मध्यम आकार के उद्यम (एसएमई) उन कुशल कर्मियों को आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, जिनके बिना वे प्रतिस्पर्धा में टिके नहीं रह सकते हैं और व्यापार नहीं कर सकते हैं। युवा जनों में बेरोज़गारी और एसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता की दुहरी समस्याओं को साथ‑साथ सुलझाया जाना चाहिए, और यह संभव भी है; युवा जनों का आर्थिक सशक्तीकरण और एसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता अन्योन्याश्रित हैं और एक‑दूसरे से शक्ति ग्रहण करते हैं। अर्थात, इन दोनों के बीच का संबंध दोनों ओर काम करता है: युवा जनों की कुशलताओं में और नवप्रवर्तन में सुधार करने से एसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है और उनके द्वारा किए जाने वाले निर्यात में वृद्धि होती है, और दूसरी ओर, एसएमई यदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो जाएँ, तो वे युवा जनों को बेहतर नौकरियाँ और रोज़गार के अधिक अवसर उपलब्ध करा सकते हैं।

इस बात को लेकर आम सहमति है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना स्वयंपोषी विकास के प्रमुख चालकों में से एक है। व्यापार के लिए आर्थिक सहायता देते समय दानदाता व्यापार के लैंगिक पहलुओं पर अब अधिक ध्यान देने लगे हैं। इन गतिविधियों में ऐसे तकनीकी अध्ययन या परियोजना अभिकल्प शामिल हैं, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र या कार्य में लैंगिक पहलुओं को शामिल करने पर जोर देते हैं। लेकिन, नीतियों में अर्थपूर्ण परिवर्तन लाने अथवा महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों को पोषित करने के लिए अल्पकालिक दानदाता कार्यक्रम अपर्याप्त हो सकते हैं। एक तरीका जागरूकता कर्यक्रमों को अधिक बढ़ावा देना और लैंगिक पहलुओं की ओर अधिक ध्यान देने वाले निवेशों की अभिकल्पना करने के लिए प्रशिक्षण देना हो सकता है। यह मार्गदर्शन दो स्वयंपोषी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में मदद करेगा ‑ लक्ष्य 5, जो भुगतान नहीं की जाने वाली देखरेख और घरेलू कार्य पर ध्यान देता है, जिसके लिए वह सार्वजनिक सेवाओं और अधिसंरचना के विकास की सिफारिश करता है, और लक्ष्य 8, जो महिलाओं को उत्पादक रोजगारी में संलग्न होने के लिए प्रेरित करता है।

कई सबसे‑कम‑विकसित देशों ने पिछले तीस सालों में स्वयंपोषी विकास की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1971 से अब तक, पाँच देशों ने सबसे‑कम‑विकसित वाली स्थिति का अतिक्रमण कर लिया है। इसी वर्ष सबसे‑कम‑विकसित वाली श्रेणी स्थापित की गई थी। इनके अलावा, वनुआतु और अंगोला 2020‑2021 में इस स्थिति से उभर जाएँगे। दस अतिरिक्त देश इस स्थिति से उभरने के लिए जो देहली मान रखे गए हैं, उनकी ओर अग्रसर हैं और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के विभिन्न पड़ावों पर हैं। यह भी हाल के वर्षों में प्रगति की बढ़ी हुई रफ्तार की ओर सूचित करता है। लेकिन, 35 सबसे‑कम‑विकसित देश अब तक इन देहली मानों के निकट नहीं आ सके हैं। सबसे‑कम‑विकसित की स्थिति से आगे बढ़ने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन की एक पूरी प्रक्रिया आरंभ करनी होगी और उसे पोषित करना होगा, ताकि एक ऐसी आर्थिक वृद्धि प्राप्त की जा सके, जो गरीबों का समर्थन करने के साथ‑साथ पर्यावरण की दृष्टि से स्वयंपोषी भी है।

2006 में व्यापार के बदले आर्थिक सहायता पहल शुरू करने से लेकर अब तक, दानदाताओं ने विकासशील देशों को व्यापार क्षमता विकसित करने में मदद करने के लिए आधिकारिक विकास सहायता के रूप में 409 अरब अमेरिकी डॉलर जितनी रकम वितरित की है। इसके अलावा, निम्न और रियायती ब्याज दरों पर 346 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया गया है। 2017 में, इसके अतिरिक्त करीब 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर की धनराशि उपर्युक्त दोनों ही प्रकार की सहयता के रूप में स्वीकार किया गया है। दक्षिण‑से‑दक्षिण प्रदाताओं ने 9 अरब अमेरिकी डॉलर का अंशदान दिया है, ऐसा ओईसीडी का अनुमान है। अनुभवपरक अध्ययनों और कार्यक्रमों के मूल्यांकनों से जो जानकारी मिली है, वह बता रही है कि यह समर्थन विकासशील देशों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने में, अपने व्यापार को अधिक विविध बनाने में, विदेशों से सीधे निवेश प्राप्त करने में, और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद कर रहा है।

हालाँकि आर्थिक विविधीकरण प्रमुख रूप से राष्ट्रीय प्रयासों से गति लेने वाली प्रक्रिया है, फिर भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय विकासशील देशों को व्यापार में समेकित करने के लिए एक समर्थक माहौल बनाने में मदद करके और आपूर्ति वाले पक्ष में जो रुकावटें हैं, उन्हें दूर करने में मदद करके इसमें योगदान कर सकता है। आर्थिक सहायता कार्यक्रमों को सशक्तीकरण को बढ़ावा देकर अधिक सुस्पष्ट रूप से विकासशील देशों को महिलाओं और युवा जनों के लिए अधिक अवसर निर्मित करने में मदद देने की ओर ध्यान देना होगा। युवा रोजगार और उद्यमशीलता से लाभ प्राप्त करने के लिए फर्म के स्तर पर होने वाली बाज़ारी विफलताओं का समाधान किया जा सकता है और व्यवसाय को पोषित करने वाले माहौल में सुधार लाया जा सकता है। महिला सशक्तीकरण की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए, विशेषकर परिवहन, ऊर्जा, बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ, खनन और उद्योग जैसे क्षेत्रों में। इस संदर्भ में, व्यापार के लिए आर्थिक सहायता द्वारा महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में योगदान करने के लिए दानदाताओं की गतिविधियों का कैसे आयोजन, अनुवीक्षण और मूल्यांकन करना है, इसके लिए ठोस मार्गदर्शन विकसित करना उपयोगी होगा।

© OECD

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© OECD (2019), Aid for Trade at a Glance 2019: Economic Diversification and Empowerment, OECD Publishing.
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